आपकी खामोशी .. बड़ा खतरा है ...
यही तो मुश्किल है लोग इंसानियत छोड़ कर जाति ,धर्म ,राजनीति ,और स्वार्थ पर उतर जाते हैं ... जो गलत है वो गलत है फ़िर किसी के साथ हुवा हो ,कारण कुछ भी हो.. क्रिया की प्रतिक्रिया को हम नही मानते... लोग बोल रहे पुलिस के रोकने पर गाड़ी नही रोकी तो पुलिस ने गोली चलाई 👈 हम पूछते हैं क्या गोली चलाना एकमात्र अंतिम विकल्प था ?, वो भी किसी के सिर पर ? ये तो सीधे सीधे मर्डर किया गया है ... यू पी पुलिस की कार्यशैली पहले भी संदेहों के घेरे में रही है .. लेकिन योगी राज में फ़र्क करना मुश्किल हो गया है की कौन पुलिस है कौन गुंडा ,अपराधी . रात का समय है , पुलिस सादे लिबास में थी , विवेक के साथ एक महिला भी थी गाड़ी में ,ऐसे में वर्तमान समय को देखते हुए गाड़ी न रोकना उचित ही था , क्या पता गुंडे ,लुटेरे हों या ...बलात्कार , हत्या जैसे गंभीर अपराध को अंजाम दे दे ,👈 शायद विवेक ने भी यही सोच कर गाड़ी नही रोकी होगी , और सच भी यही था , पुलिस अपराधी ही निकली .. हत्या कर ही दी .. विवेक की.. विवेक के परिवार ने सरकारी नौकरी , 1 करोड़ रुपये औऱ सुरक्षा की गारंटी मांगी है ..ये सब तो ठीक है . लेकिन मुद्दे की बात